मंगलवार, 19 अप्रैल 2016

save tree

Save Trees Slogans In Hindi
1)  जहा हरियाली वहा खुशहाली
2)  पेड़ – पौधे मत करो नष्ट, साँस लेने में होगा कष्ट.
3)  आओ बच्चो तुम्हे बताऊँ, बात मै एक ज्ञान की, पेड़ – पौधे ही करते हैं,रक्षा अपनी प्राण की.
4)  बच्चा बच्चा उठेंगा, पेड़ लगाकर धरती को सजायेगा.
5)  वृक्ष लगाओ, हरियाली लाओ.
6)  अगर हम वृक्ष लगायेंगे, वे हमारे काम आयेंगे.
7)  पेड़ वर्षा लाते है, गरमी से यह बचाते है.
8)  पेड़ हैं जीवन का आधार, इसको मत काटो यार.
9)  पेड़ लगाओ देश बचाओ, पेड़ लगाओ जीवन बचाओ, जीवन खुश

save water

जल संरक्षण

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
1960 अमरीका चार प्रतिशत डाक टिकट: जल संरक्षण.
जल संरक्षण का अर्थ है जल के प्रयोग को घटाना एवं सफाई, निर्माण एवं कृषि आदि के लिए अवशिष्ट जल का पुनःचक्रण (रिसाइक्लिंग) करना।
  • धीमी गति के शावर हेड्स (कम पानी गरम होने के कारण कम ऊर्जा का प्रयोग होता है और इसीलिए इसे कभी-कभी ऊर्जा-कुशल शावर भी कहा जाता है).[कृपया उद्धरण जोड़ें]
  • धीमा फ्लश शौचालय एवं खाद शौचालय. चूंकि पारंपरिक पश्चिमी शौचालयों में जल की बड़ी मात्रा खर्च होती है, इसलिए इनका विकसित दुनिया में नाटकीय असर पड़ता है।
  • शौचालय में पानी डालने के लिए खारे पानी (समुद्री पानी) या बरसाती पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • फॉसेट एरेटर्स, जो कम पानी इस्तेमाल करते वक़्त 'गीलेपन का प्रभाव' बनाये रखने के लिए जल के प्रवाह को छोटे-छोटे कणों में तोड़ देता है। इसका एक अतिरिक्त फायदा यह है कि इसमें हाथ या बर्तन धोते वक़्त पड़ने वाले छींटे कम हो जाते हैं।
  • इस्तेमाल किये हुए पानी का फिर से इस्तेमाल एवं उनकी रिसाइकिलिंग:
    • शौचालय में पानी देने या बगीच
  • नली बंद नलिका, जो इस्तेमाल हो जाने के बाद जल प्रवाह को होते रहने देने के बजाय बंद कर देता है।
जल को देशीय वृक्ष-रोपण कर तथा आदतों में बदलाव लाकर भी संचित किया जा सकता है, मसलन- झरनों को छोटा करना तथा ब्रश करते वक़्त पानी का नल खुला न छोड़ना आदि.

जल संरक्षण का अर्थ है जल के प्रयोग को घटाना एवं सफाई, निर्माण एवं कृषि आदि के लिए अवशिष्ट जल का पुनःचक्रण (रिसाइक्लिंग) करना।
   धीमी गति के शावर हेड्स (कम पानी गरम होने के कारण कम ऊर्जा का प्रयोग होता है और इसीलिए इसे कभी-कभी ऊर्जा-कुशल शावर भी कहा जाता है).[कृपया उद्धरण जोड़ें]
   धीमा फ्लश शौचालय एवं खाद शौचालय. चूंकि पारंपरिक पश्चिमी शौचालयों में जल की बड़ी मात्रा खर्च होती है, इसलिए इनका विकसित दुनिया में नाटकीय असर पड़ता है।
   शौचालय में पानी डालने के लिए खारे पानी (समुद्री पानी) या बरसाती पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
   फॉसेट एरेटर्स, जो कम पानी इस्तेमाल करते वक़्त 'गीलेपन का प्रभाव' बनाये रखने के लिए जल के प्रवाह को छोटे-छोटे कणों में तोड़ देता है। इसका एक अतिरिक्त फायदा यह है कि इसमें हाथ या बर्तन धोते वक़्त पड़ने वाले छींटे कम हो जाते हैं।
   इस्तेमाल किये हुए पानी का फिर से इस्तेमाल एवं उनकी रिसाइकिलिंग:
       शौचालय में पानी देने या बगीच
नली बंद नलिका, जो इस्तेमाल हो जाने के बाद जल प्रवाह को होते रहने देने के बजाय बंद कर देता है।
जल को देशीय वृक्ष-रोपण कर तथा आदतों में बदलाव लाकर भी संचित किया जा सकता है, मसलन- झरनों को छोटा करना तथा ब्रश करते वक़्त पानी का नल खुला न छोड़ना आदि == वाणिज्यिक ==जल बचाने के कई ऐसे उपकरण (जैसे धीमे फ्लश वाले शौचालय), जो घरों में मददगार होते हैं वे वाणिज्यिक जल बचाने में भी उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में जल बचाने के अन्य तकनीकों में निम्नलिखित शामिल हैं:* जल-रहित शौचालय* [[कारों को बिना जल के साफ़ करना]]* इन्फ्रारेड अथवा पैर से चलने वाले नल, जो रसोई या स्नानघर में धोने के काम के लिए जल के छोटे बर्स्ट का उपयोग कर जल बचा सकते हैं।* दबावयुक्त वाटरब्रूम्स, जो पानी की जगह बगलों को साफ़ करने के काम आ सकें.* एक्स-रे फिल्म प्रोसेसर रीसाइकिलिंग सिस्टम* कूलिंग टावर कंडकटीवीटी कंट्रोलर्स* जल-संचयक वाष्प स्टेरिलाइज़र्स, अस्पतालों आदि में उपयोग के लिए.

कृषि[संपादित करें]


उपरी सिंचाई, केंद्र डिजाइन धुरी
फसलों की सिंचाई के लिए, इष्टतम जल-क्षमता का अभिप्राय है वाष्पीकरणअपवाह या उपसतही जल निकासी से होने वाले नुकसानों का कम से कम प्रभाव होना. यह निर्धारित करने के लिए कि किसी भूमि की सिंचाई के लिए कितने जल की आवश्यकता है, एक वाष्पीकरण पैन प्रयोग में लाया जा सकता है। प्राचीनतम एवं सबसे आम तरीक़ा बाढ़ सिंचाई में पानी का वितरण अक्सर असमान होता है, जिसमें भूमि का कोई अंश अतिरिक्त पानी ले सकता है ताकि वो दूसरे हिस्सों में पर्याप्त मात्र में पानी पहुंचा सके. ऊपरी सिंचाई, केंद्र-धुरी अथवा पार्श्व-गतिमान छींटों का उपयोग करते हुए कहीं अधिक समान एवं नियंत्रित वितरण पद्धति देते हैं। ड्रिप सिंचाई सबसे महंगा एवं सबसे कम प्रयोग होने वाला प्रकार है, लेकिन पानी बर्बाद किये बिना पौधों की जड़ तक पानी पहुंचाने में यह सर्वश्रेष्ठ परिणाम लाते हैं।
चूंकि सिंचाई प्रणाली में बदलाव लाना एक महंगा क़दम है, अतः वर्त्तमान व्यवस्था में संरक्षण के प्रयास अक्सर दक्षता बढ़ाने की दिशा में केन्द्रित होते हैं। इसके तहत chiseling जमा मिटटी, पानी को बहने से रोकने के लिए कुंड बनाना एवं मिटटी तथा वर्षा की आर्द्रता, सिंचाई कार्यक्रम की बढ़ोत्तरी में मदद शामिल हैं।[1]
  • रिचार्ज गड्ढे, जो वर्षा का पानी एवं बहा हुआ पानी इकट्ठा करते हैं एवं उसे भूजल आपूर्ति के रिचार्ज में उपयोग में लाते हैं। यह कुएं आदि के निर्माण में उपयोगी सिद्ध होते है एवं जल-बहाव के कारण होने वाले मिटटी के क्षरण को भी कम करते हैं।
  1. जल के नुकसान, प्रयोग या बर्बादी में किसी प्रकार की लाभकारी कमी;
  2. जल-संरक्षण के कार्यान्वयन अथवा जल-दक्षता उपायों को अपनाते हुए जल-प्रयोग में कमी; या,
  3. जल प्रबंधन की विकसित पद्धतियां जो जल के लाभकारी प्रयोग को कम करते हैं या बढ़ाते हैं।[2][3] जल संरक्षण का उपाय एक क्रिया, आदतों में बदलाव, उपकरण, तकनीक या बेहतर डिजाइन अथवा प्रक्रिया है जो जल के नुकसान, अपव्यय या प्रयोग को कम करने के लिए लागू किया जाता है। जल-क्षमता जल-संरक्षण का एक उपकरण है। इसका परिणाम जल का बेहतर प्रयोग होता है एवं इससे जल की मांग भी कम होती है। जल-क्षमता उपाय के मूल्य एवं लागत का मूल्यांकन अन्यान्य प्राकृतिक संसाधनों (यथा-ऊर्जा या रसायन) पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए.[2]'

जल-क्षमता[संपादित करें]

जल क्षमता को, किसी क्रिया, कार्य, प्रक्रिया के निष्पादन या संभाव्य जल के न्यूनतम मात्रा के परिणाम, या किसी ख़ास उद्देश्य के लिए अपेक्षित जल की मात्रा एवं उसमें प्रयुक्त, लगने वाले या वितरित जल की मात्रा के बीच के संबंध के एक संकेतक के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।[2] To know more info click here

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